ADD

आज कल कोई भी


आज कल कोई भी

आज कल कोई भी खड़ा हो जाता है
कमीज फाड़कर सीना तान देता है 
देकर दो चार गाली खुद को ही वो खुद से 
गुस्सा अपना वो इस तरह तज देता है 
आज कल कोई भी

या फिर वो जो गुमसुम घोंट पी लेता है
चुपचाप एक कोने मे बैठा रहता है 
खुद को ही खुद से वो कोसता रहता है 
अपने ज्ञान चक्षु वो बंद कर लेता है 
आज कल कोई भी

या तो वो पत्थर उठाकर अपना लक्ष भेदता है 
या वो बुढा अन्न त्याग अनशन पर बैठता है 
अहिंसा का वो पथ अब भी अकेला लड़ता है 
हिंसा ओर असमर्थ का यंहा पल्ला झड़ता है 
आज कल कोई भी

आज कल कोई भी खड़ा हो जाता है
कमीज फाड़कर सीना तान देता है 
देकर दो चार गाली खुद को ही वो खुद से 
गुस्सा अपना वो इस तरह तज देता है 
आज कल कोई भी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ