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छुटगै मेर गढवाला



छुटगै मेर गढवाला

पौडी भातेक जीमो छुटी
पुहंच गै वो अब कोटद्वार
उंचा निसा डंदीयुं दगड मा
तेड मेडा वा सड़की बाटा
अब मेर दागडी छुटगै मेर गढवाला

कोटद्वार भातेक रेल जाली
सबैर रेल पुहंचली नई दिल्ली दारा
झुख झुक कैकी निघ्ली
मुम्बई मेरा सप्नीयुं का घारा
छुक छुक कैकी छुटगै मेर गढवाला

अपरा सप्नीयुं खोयांचों
मी नया विचार लाएयुं चों
दिल मा डैरच मनमा खुद
घुघूती कभी कबार तू ले मेर सूद
ओं यादों दगडी छुटगै मेर गढवाला

क्या जाँण क्या होलो वख
माया नगरी की मायाच वख
भूल नी जों मेर उत्तराखंड
हे मुम्बा भगवती दे मेरु साथ
अब ई मेरु भाग छुटगै मेर गढवाला

पौडी भातेक जीमो छुटी
पुहंच गै वो अब कोटद्वार
उंचा निसा डंदीयुं दगड मा
तेड मेडा वा सड़की बाटा
अब मेर दागडी छुटगै मेर गढवाला

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत


बालकृष्ण डी ध्यानी
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