धैर्या बांध टूटा
धैर्या अपना खोने लगा
बाँध सारे खुलने लगा
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
धरती चुप ,पहाड़ बोलने लगा
आकर उसे कोई छेड़ने लगा
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
किसी ने उसकी धारा के वेग को रोका
मोड़ों को मोड़ ओर सीने को खोदा
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
विरान अकेला छोड़ा
दूर तक उजाड़ा,दौड
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
अपना पराया खोया
अश्रु अश्रु संग ही रोया
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
धैर्या अपना खोने लगा
बाँध सारे खुलने लगा
आज,हिमाला रोने लगा
दर्द बेकाबू होने लगा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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