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तू जख भी


तू जख भी

तू जख भी रै 
तू.......... कख्क भी रै 
तिथै नी भूलण दिलो 
अपरू गढ़ देशा 
ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड 
तू जख भी रै 
तू.............. कख्क भी रै

दगडी हिटालू 
तै दगडी बचलू
छुयीं मा तेरी मी ही दिखे
आंखी मा तेरी ही सजै 
खुदमा भी मी रिटलू 
तू जख भी रै 
तू.......... कख्क भी रै 
तिथै नी भूलण दिलो 
अपरू गढ़ देशा 
ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड 

अगणे पीछणे 
आज मा कल मा 
घुघूती घुग मा 
बुरंस का फुल मा 
मी ही खिदालू 
तू जख भी रै 
तू.......... कख्क भी रै 
तिथै नी भूलण दिलो 
अपरू गढ़ देशा 
ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड 

काफल चखे 
जीभ तेर लपे 
आंसूं तेर टपे
बाबा बोई जी थै
मै मा ही खोजै 
तू जख भी रै 
तू.......... कख्क भी रै 
तिथै नी भूलण दिलो 
अपरू गढ़ देशा 
ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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