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गढ़ कर्म कांड


गढ़ कर्म कांड 

खोट लुट की बिसात बिछींचा 
आपरून ऐ कार्य करयूँचा 
हाथ भुयां मुंडमा खूटा धरयूँचा 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

काला टक्कों का व्यापार होयूँचा 
ठेखों की भरमार होयींचा 
लुटण सबुका सब लग्याँ छन 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

खोदे खोदे की उजाड़ करयूँचा 
सुरोंगों न ताड़ा ताड़ा करयूँचा 
चूरेकी जंगलत ख़ाक करयूँचा 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

गंगा भी यूँण नीलम करींचा 
यण रेती को भंडार लुटयूँचा 
डैम कु सम्रराज्य पसरयुंचा
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

नलकों का पाईप बिछा छन 
सरू पाणी भैर, मालई दूण गईंचा
ब्लब लोड शेडिंग मार खाण छन 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

आपद व्यवस्था तार तार होईंच 
सहयता राशी कु नाम मा लूँण बाटूयूँच
भ्रष्ट तंत्र को कंण बाँणग लगीच 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२ 

दारू की दुकान सैरबैर लगीच 
सगा सब्जी सब भैर भटेक आण छन 
आपर पुंगडा मा क्या आग लगीच 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२ 

खोट लुट की बिसात बिछींचा 
आपरून ऐ कार्य करयूँचा 
हाथ भुयां मुंडमा खूटा धरयूँचा 
खूब गढ़ मा यूँ को कारोबार चलयुंचा ..२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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