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ऋतू रुज्युं


ऋतू रुज्युं 

जिकोडी धडक धडक रूणी
जिकोडी धडक धडक बोणी
क्या धारीयुं ईणी गाला .....२ 
बारमैना कु यख ऋतू रुज्युं 
बस यख बस्ग्ल्या .......२
बस यख कुमो -गाढवाला 

मांगा टिका व बिंदुली बोंदी 
गालो को गोलोबांदा वख अब हर्ची 
हाथ चूड़ी... क्ख्क ग्याई वो ठाट 
पैराकी पैजणी रिता ...खुटा का वो बाट
ठुमक ठुमक रोऊडी जांदी.. फिर कीले णी बोउडी आंदी 
टिप पुडादा वो आंखयूँ का गार 
जिकोडी धडक धडक रूणी
जिकोडी धडक धडक बोणी
क्या धारीयुं ईणी गाला .....२ 

अंशुं दणमण रुंदी 
छुप छुपैकी वो भी बोंदी 
गर गर रर गीरीगे ..गलों का ताला
सर सर कै बहागै ....वो उम्ली उमाला 
कुडी यख यकुली रेगे सुंघुल ताला कु चडीगै
मल्ल्या खाला तल्ल्या खाल 
नमकीन पाणी भोरीले ऐ डैम कु खंडा 
जिकोडी धडक धडक रूणी
जिकोडी धडक धडक बोणी
क्या धारीयुं ईणी गाला .....२ 

जिकोडी धडक धडक रूणी
जिकोडी धडक धडक बोणी
क्या धारीयुं ईणी गाला .....२ 
बारमैना कु यख ऋतू रुज्युं 
बस यख बस्ग्ल्या .......२
बस यख कुमो -गाढवाला 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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