अब क्या करूँ
अफ़सोस होता है एका एक
जो कहता है आज रात १२०० बजे बाद
पांच रुपये डीजल के भाव बढा दिये जायेंगे
हमारे किसे से ओर रुपये निकल दिये जायेंगे
संताप होता है जेब जब
आंखें विषाद होती है
महीने का सारा विचार जब ढहा जता है
अफ़सोस होता है एका एक ...............
गंभीरता की छटा हटने लगती है
क्लेश का बुख़ार सर चढ़ कर बोलता है
पीड़ा होती है जब कोई इस तरह बोझ देता है
उदासी और रंज की इस समय में
अपने आप से खेद बुहत होता है
व्यथा की गाथा का पन्ना रोज खोलता है
अफ़सोस होता है एका एक...................
झक्की जिंदगी तब लगने लगती है
अपना ही आप से जब लड़ने लगता है
परेशान फिरता नजारा जब घूमता है
खाली किसे तब नजर आने लगते हैं
विशवास अपना वो खो देता है
अपने आप वो अब कहने लगता है
हर और रिक्त रिक्त लगने लगता है
अफ़सोस होता है एका एक...................
अफ़सोस होता है एका एक
जो कहता है आज रात १२०० बजे बाद
पांच रुपये डीजल के भाव बढा दिये जायेंगे
हमारे किसे से ओर रुपये निकल दिये जायेंगे
संताप होता है जेब जब
आंखें विषाद होती है
महीने का सारा विचार जब ढहा जता है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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