अनुभव कुछ ऐसा
दिल अस्सी को हो या
अट्ठाईस का .....सरकार
वो ढाल तू जाता है
देख खिली कली सुंदर सी
भोंरा लटक तो जाता है
पर पैमाना छलक तू जाता है
अनुभव कुछ ऐसा आया है
मध्यम रोशनी की फुवार
हल्की वो बूंदों की बौछार
तन मन करे वो बेकरार
परवाना अब लिपटने को तैयार
क्यों मचलता है बार बार
चढा हो एक सौ आठ बुखार
पर पैमाना छलक तू जाता है
अनुभव कुछ ऐसा आया है
आँख का दोष है
असर इस दिल को होता है
अंगूर का रस को ना करो बदनाम
कैदी खुद ही खुद कैद हो जाता है
आधा ही रहता इश्क का जाम
पर पूरा वो फसाना हो जाता है
पर पैमाना छलक तू जाता है
अनुभव कुछ ऐसा आया है
बाद में मशहूर हो जाते है
वो किस्से कहानियाँ तमाम
पर उसे तब भी ना मिलता आराम
भटकाता रहता है जाने के बाद भी
काश दिख जाये वो उस राह से
उस राह पर वो खड़ा आज भी
पर पैमाना छलक तू जाता है
अनुभव कुछ ऐसा आया है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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