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कै बेल ऐ अबैर ...


कै बेल ऐ अबैर ...

आज सवेर सवेर 
किले वहगै...ऐ देर 
डंडू मा कोयेडी छायीं चा 
नींदी मा सुपुनीयुं मा 
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा 

तेरी याद तेरी खुद 
सदनी दगडी दगडी ही ...रंहदी 
यकुली मी..... जब रेंदू 
आंसूं तल चुल जाँदी 
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा............

दोपहरी को घाम 
ना मिल्दो ......यख आराम 
वो डाली की छेलू
याद दिलाणु..फर फर साफा तेरु 
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा............

ब्योखुनी को घाम 
राती मा...... जब झोली जांद
तेर ही याद ..याद सरला 
दीण थै ढोली जांद 
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा............

झील झील तारा ... दूर यख 
कली रात कु ....कालू अंधारु 
जुगनी सी तेरु खुद सरला 
तेर माया थै चंम चम चमकंद
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा............

आज सवेर सवेर 
किले वहगै...ऐ देर 
डंडू मा कोयेडी छायीं चा 
नींदी मा सुपुनीयुं मा 
कै बेल ऐ अबैर 
सरला तू अयींचा 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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