सोच गढ़ देशा की
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे.
बैठी बैठी की किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२
बादल फटयाँ गढ़ देशा मा
अपर भै बन्द छोडीकी गै कै देशा मा
अन्ख्युं मा बस्ग्याल छोडीकी बोई
उत्तराखंड भी आज रोणू छा
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२
उत्तरकाशी,कपाल कोट
रूद्रप्रयाग कु उखीमठ दैवी विपदा घ्याल रोणू छा
आपरा समण कदगा अपरा हर्ची
अन्ख्युं मा बस बल बरखा झरकी रोणी छा
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२
बोगी जालो सरू गढ़ देशा ईणी
विचार कै बेटा ना गै अब बी बेल
अपर अपरा मा ना लगी रै छोछा
गढ़देशा की भी तू अब सोच
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे.
बैठी बैठी की किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी ईजा यकुली बैठी किले रोणी छे.
बैठी बैठी की क्या सोचणी छे...२
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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