फिर वंही
फिर ..फिर वंही
अपनी कही.....रुखा सुखा
तुम्हरी कही.... बस खार पानी
फिर ..फिर मै वंही
फिर ..फिर मै वंही
जैसे चढ़ा वैसे मै ढला
तुम चले...सब चलता गया
फिर ..फिर मै वंही
फिर ..फिर वंही
चुप चाप सा मै रहा यंहा
तुम अपनी कहते चले गये
फिर ..फिर वंही
फिर ..फिर मै वंही
अँधेरे में मै खो सा चला
उजाले में जाकर तुझे क्या मिला
फिर ..फिर वंही
फिर ..फिर मै वंही
तेरी मेरी दास्ताँ दो रहा
एक ही पथ दो गुमराह
फिर ..फिर वंही
फिर ..फिर वंही
अपनी कही.....रुखा सुखा
तुम्हरी कही.... बस खार पानी
फिर ..फिर मै वंही
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
0 टिप्पणियाँ