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परेशान


परेशान

आज कल 
आवश्यकता अधिक कसा हुआ 
कुछ छोटा पर वो बड़ा हुआ 
अस्वस्थता, बेचैनी से घिरा हुआ 
मन और मै यंहा परेशान 

कहीं इम्तिहान कहीं रुझान
नब्ज हर वक्त यंहा परेशान 
अनुष्ठान उठान या फिर श्मशान
स्थान स्थान पर बैठा परेशान 
मन और मै यंहा परेशान 

बेचैनी अशांत और विक्षुब्ध
आँखों पर छाया सा वो विमूढ़ 
भ्रांत ओर घबड़ाया सा व्याकुल
चिंतातुर क्यों उत्तेजित था परेशान 
मन और मै यंहा परेशान 

आश्रय मेरे घर में बैठा हुआ 
दूध मक्खन मिष्ठान ग्रहण करता हुआ 
पर पेट को क्यों बाधित करता हुआ 
शरीर चिड़चिड़ा नसों कमजोर परेशान 
मन और मै यंहा परेशान 

तृप्त ना ऐ धड़ रहता अनमना 
प्रेम में भी इसे फरेब अब दिखता हुआ 
उदास बैठा अकेला कौन से पथ जाता हुआ 
परेशान परेशान हर कोई यंहा 
मन और मै यंहा परेशान 

आज कल 
आवश्यकता अधिक कसा हुआ 
कुछ छोटा पर वो बड़ा हुआ 
अस्वस्थता, बेचैनी से घिरा हुआ 
मन और मै यंहा परेशान 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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