झूठ की बिसात
अभिसंधि का मौसम है
असत्य की बरस रही बरसात
पग पग मिथ्या बिछी यंहा
चालबाज़ी अब सरेआम है
आज की राजनीती का चलन .....
ढकोसला का पुल बंधा
कूट पत्तों का महल खड़ा
मनोविनोद धूर्तता की जागीर
कपट राजा रंगीन बड़ा
आज की राजनीती का चलन .....
एक एक है छल यंहा
वंचना का मुंह जब तक चला
फरेब का यूँ जाल बिछा
ईजाद आम जनता हुआ
आज की राजनीती का चलन .....
अतिशयोक्ति के चले बाण
गपोड़ा ही हुआ बलिदान
पालकी सजी गबन की
झूठ कहानी सुनाने बेकरार
आज की राजनीती का चलन .....
धन का अपहरण कर पाखंड
दुरंगेपन का ऐ कपटाचरण
मिथ्याभाषण का बना मीत
झूठ का ही वो छेड़े संगीत
आज की राजनीती का चलन .....
अभिसंधि का मौसम है
असत्य की बरस रही बरसात
पग पग मिथ्या बिछी यंहा
चालबाज़ी अब सरेआम है
आज की राजनीती का चलन .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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