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खासच


खासच 

एकदा की बातच
बात क्याच बस खासच 
दिन बदली दिन गयां
रती बदल रातच 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

चलो बात अग्ने बढ्वा 
तुम ध्यान त जी लगावा 
बात भंडयां दीणु की 
अबैर अबैर की बात च 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

पैलू पन्ना खुली मील 
हरभरा गढ़ नंगो कैल मील 
स्वार्थ बड़ी मेर और
गंगा थै ना छोडी मील 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

दुसरू अनवरा उघाड़ी 
बन्जा पुंगडा उजाड़ा सारी 
संस्कुर्ती को देख हासच
रीटा गढ़ देश आजचा 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 

तिसरू कु खुली दारा 
भगयां देखा सीपै दारा 
रीटा खाली कूड़ा संघुला दारा 
दाना बूढा बेटी ब्वारी घार 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

चोथो लुट की किवाड़ा 
लुटगी वनसम्पदा गढ़ नीर आज 
अन्ख्युंमा अंशुं की धार 
सुरंगों डैम को झेल की मार 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

पंचा दार पञ्च प्रयाग 
रूठा देबता रूठा वोंका थान
सब यख डोब्याँ डोब्याँ दिखा
अपरा सब हरर्चयां लाग्यां 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

अखेर मा मन बुल्दु 
खैरी विपदा यकुली वो सैदू 
गढ़ नरेश उत्तरखंड मेरु 
तेरु बाण को होलो जो सोच्दु 
कुछ ख़ासच कुछ बातच 
मेरा देश उत्तराखंड मा 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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