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मी छुं


मी छुं 

मी छुं उत्तराखंडी ..२
सीधी साधी,भोली भली 
बोली मेरी मेर गढ़वाली 
पहड़ों मा रहनेवालों 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

कैक बाण बाणया सड़की
मोड़ा मोड़ा वा तिरछी
उकालों उन्दरूं मा निकली 
जीवन मयारू सारु
मी छुं उत्तराखंडी ..२

दैल फैल जो भी देल 
गढ़ देशा की धरती देल 
मी थै चुना को रोटा
ठेन्ची प्याजों की ठेचा 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

सिमेंट से मिल क्या कैण 
माटा का कूड़ा जब मिल रैण 
माया माया को फेर लग्युं 
भैर रुपयों को रेल लग्युं 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

बिजली बाणी म्यारा घ्रारा 
जब चिमनी ही मिल जलेण 
पतेंद्र बाटे जब मिल पाणी सरेन
नलकूपों को मिल क्या केंण 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

बंजा पुड्यां सरकार 
बंजा पड्यां जीकोडी सुध नी लेंण 
मी आपरा मस्त छुं 
क्या लुटी वैण क्ख्क वा वो लेजंण 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

मी छुं उत्तराखंडी ..२
सीधी साधी,भोली भली 
बोली मेरी मेर गढ़वाली 
पहड़ों मा रहनेवालों 
मी छुं उत्तराखंडी ..२

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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