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मेर माटू


मेर माटू 

माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु
भोअल माटू व्हैजण तिल 
आज किले होलू तू इतराणों 
माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु....................

अपरा कर्म से भागी 
अपरा धर्म से भागी 
जात पात फीता गला मा टाकी
क्ख्क फिरणु छे रै तू बढभागी 
माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु....................

देख टक्कों का माया 
सब तू भूली गे भाया 
अपरू थै तू छाले की 
गैरों दगड़ अब किले हिटे
माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु....................

अंत जब निकट आई 
पूजा पाठ मा तू तब लगे 
मोक्षा द्वार खोजा मा 
अब किले जख तख भटके 
माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु....................

माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु
भोअल माटू व्हैजण तिल 
आज किले होलू तू इतराणों 
माटू कथा लगाणु
माटू मी समझणु....................

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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