यूँ ही तन्हा चला …२
अजनबी सा सहर,अजनबी वो डगर ..२
साथ चलता चला ,वो दिल तन्हा मेरा
यूँ ही तन्हा चला ..२
दिल तन्हा चला
मंजिलों …… की तलाश में, तन्हा दिल है हताश ..2
भीड़ मे भी अकेला,सुन दिल अजब है ये राज
यूँ ही तन्हा चला ..२
दिल तन्हा चला
अकसर होता यही है,टूटा दिल बस यंही ..2
धडकनों ने सूनी थी ,चलते क़दमों की जुबान
यूँ ही तन्हा चला ..२
दिल तन्हा चला
आगो़श में ले लेना आसमान ,तू ही संग संग मेरे चला ...2
साथ देना तू धरा गर डगमगा जाओं मे जरा
यूँ ही तन्हा चला ..२
दिल तन्हा चला
अजनबी सा सहर,अजनबी वो डगर ..२
साथ चलता चला ,वो दिल तन्हा मेरा
यूँ ही तन्हा चला ..२
दिल तन्हा चला
दिनांक ६/१०/१२ शनिवार दोपहरी में ठीख १२:०० बजे
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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