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मेरु कर्म कांड


मेरु कर्म कांड 

क्या तेरु च क्या मेरु च 
दुनीया ही भली बुरी 
यख बस्यां बस हरी च 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

ढुंगा ढुंगा अब बोलणा छन 
रुपया सोंण का माया तुलणा छन 
आस्था की कणी लगी भीड़ छन 
अपरी बाण ही वा सोचणा छन 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

क्या तेरु च क्या मेरु च 
दुनीया ही भली बुरी 
यख बस्यां बस हरी च 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

क्या लेकी जालो यख भतेक 
क्या छोडी की जालो तू यख मा 
वो माया थै वो सिमेंटण छन 
सिमटी माया ही रै जाली यख मा 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

क्या तेरु च क्या मेरु च 
दुनीया ही भली बुरी 
यख बस्यां बस हरी च 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

मन मन मा बस्याँ हरी च 
देख जख वख बस हरी च 
तेरी मनखी देखणी क्या 
माया गिचोडी लाल चूलेणी यख 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

क्या तेरु च क्या मेरु च 
दुनीया ही भली बुरी 
यख बस्यां बस हरी च 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

गोर गरीब क्ख्क छन यख 
मीच सबसे बडयूँ यख गरीब छों
कैक जिंदगी सुधराण मील 
मी च घ्याल एक शरीर छों 
जपले जिकोडी हरी हरी ….२ 

क्या तेरु च क्या मेरु च 
दुनीया ही भली बुरी 
यख बस्यां बस हरी च 
जपले जिकोडी हरी हरी ….४ 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

रविवार दिनक १४ /१० /१२ सवेरे ९ :२० समय 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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