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बाकी सब ठीख छन


बाकी सब ठीख छन 

तन मन वो छुटा रत्न 
बरसी पैली दी तुमण 
अग्नी के समंण स्वामी 
सात फेरों को बचन 
टूटयां टूटयां यख बिखरयां छन 
उकेरणु मी यकुली बस 
बाकी सब ठीख छन 

राजी रयां जुगराज रयां 
स्वामी मेरा तुम जख भी रयां 
आस च ये ईन दिन रात लगण 
बणकी ब्योली जिकोडील सजण 
आँखों की छुंयी स्वामी 
गोल माथा की बिंदील बोलण 
कंचा की चुडी खनकील टूटण कु बस 
बाकी सब ठीख छन 

हंसुली मेरी घास काटेंण 
दतुली मेर पीड़ा थै छुपण 
नथुली मेर बस यख सीसकण 
हाथा का रेखा मा स्वामी थै खोजण 
माथा का रेखा अब क्या लग्युं सोचण 
मांगा टिका बिकी ग्याई स्वामी 
सिंधुर की लकीर फिर भी दिखाण बस 
बाकी सब ठीख छन 

पैजणी उधेड़ गीत गाणी 
निकली की मील लकडा कु कापटा लुका दयाई 
गुलोबंद मी मा हैंस दयाई 
विपदा ऐ मिल वो बेच दयाई 
चांदी कु कमर पटा स्वामी मेरा 
घरु व्हें ग्या ज्याद इत्गा 
तुम्हरी जी थै णी समेलणु अब बस 
बाकी सब ठीख छन 

तन मन वो छुटा रत्न 
बरसी पैली दी तुमण 
अग्नी के समंण स्वामी 
सात फेरों को बचन 
टूटयां टूटयां यख बिखरयां छन 
उकेरणु मी यकुली बस 
बाकी सब ठीख छन 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

रविवार दिनक १४ /१० /१२ सवेरे८ :२० समय 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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