माँ मेरी
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है
वो मेरे लिये ही अब भी वो सोचती है
अकेले मे बैठ वो चुपके चुपके
वो अब भी मेरे लिये रोती है
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है ..............
जना की जग जोगी वाला फेरा
एक एक कर सबको यंहा से है जाना
माँ की ममता को तू क्या जाने
उसके कलेजे मे अब भी तेरे नाम की आवाज आती है
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है ..............
माना पुरुष प्रधान समाज देश है मेरा
पर उसके कई हाथ ही ये घोसला सजती है
भूखा हूँ मै अपने चोंच से दाना चुगाती है
माँ मेरे लिये अब भी भूखा रहती है
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है ..............
परेशानी ना हो मुझको फूलों की रहा सजती है
बिछे पड़े पथ के काँटों को अपने कदमो आड़ में छुपती है
कितना भी बड़ा आदमी मै हो जाओं माँ
शीश अपना मै उसके चरणों के नीचे ही पाओं मै
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है ..............
माँ मेरी आज तेरी याद बहुत आती है
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगती है
वो मेरे लिये ही अब भी वो सोचती है
अकेले मे बैठ वो चुपके चुपके
वो अब भी मेरे लिये रोती है
मेरी माँ अब भी मेरे लिये आंखे भीगोती है ..............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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