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बस मै जला


बस मै जला

जब दसहरा आता है खुद को जला पता हूँ 
कोई साथ उठा ले जाता है ओर किस के साथ में जाता हूँ 

देखा जब अपने को मै कंही नहीं दिखा 
झूठ धोखा अहम में मै कंही था छिपा हुआ 

रावण को तू जलायेंगे सभी एक साथ ही 
अपने अंदर के छिपे राम को क्या वो पा जायेंगे 

जला हर साल अधर्म यूँ ही बिच चौराहा 
अग्नी देने वाले हाथ उस ज्वाला को सह पायेंगे 

खाक तू आज पुतला हुआ उस रखा के साथ 
अंतरमन में छुपे रावण को क्या हम मार पायेंगे 

इस तरंह ही तू जलता है जल जायेगा 
झूठ धोखा अहम में क्या पाया है क्या पायेगा 

बस मै जला उस रावण में उस के उस कर्म में 
उस संग मै ही खिला उस राख़ में मै ही मिला 

त्योहार है बस यूँ ही मनाया जायेगा 
बस ये लुफ्त अब सब भूलकर उठया जयेगा 

जब दसहरा आता है खुद को जला पता हूँ 
कोई साथ उठा ले जाता है ओर किस के साथ में जाता हूँ 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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