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दो शब्द मेरे यश जी के लिये


दो शब्द मेरे यश जी के लिये 

धुल के फुल पर आती रहेगी बहारें यूँ ही सदा 
जब तक है जान ..२ 

राहों मै ओर भी मिलेंगे खव्बों के सिलसिले यंहा 
दूर दूर तक यश की निगाहों के गुल खिले जंहा 
जब तक है जान ..२ 

पत्तों पत्तों पे मोहब्बत का लिखा पगामै कलमा 
हर सूरते हाल में सबको पड़ेगा यंहा से चलना 
जब तक है जान ..२ 

कोई आयाम ये ख्व्बों का घरोंदा सजायेगा 
कोई प्रेम नफरत की नई परिभाषा लिख जायेगा 
जब तक है जान ..२ 

रुपहले पर्दे पर ये नाम हरदम झलकेगा 
कोई यश ले जायेगा कोई यशराज कहलायेगा 
जब तक है जान ..२ 

दो आंसूं के सहारे से खडी थी दीवार मेरी 
कभी कभी अब मेरे दिल में यूँ ही वो गुनगुनायेगा 
जब तक है जान ..२ 

आखरी सफ़र मै जाना था अकेले ही कभी ना कभी 
आज मुझे जाना था कल तू जायेगा 
जब तक है जान ..२ 

धुल के फुल पर आती रहेगी बहारें यूँ ही सदा 
जब तक है जान ..२ 

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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