बदलती रही
पल पल बदलती दुनिया की
तस्वीर बनाता हूँ किस्सा सुनता हूँ
पल पल बदलती दुनिया की …….
एक रिश्ता यंहा बस झूठा है
दूजे पल मे ही वो बिछड जाता है
पल पल बदलती दुनिया की …….
एक रहा है सीधी साधी
अनजाने मोड़ पर वो क्यों ? मोड़ती जाती है
पल पल बदलती दुनिया की …….
तक़दीर और तस्वीर टकराती है
दिल का दर्पण बस चूर चूर होता है
पल पल बदलती दुनिया की …….
एक आवाज अकेले मे वो लगती रही
वो बस भीड़ -भाड मे भी अकेले चलती रही
पल पल बदलती दुनिया की …….
जलता ही रहा है जीवन हरबार यंहा
आखीर मे खाक होने वो क्यों डरता है
पल पल बदलती दुनिया की …….
अशकों से ही विदाई होनी थी
आते हुये भी रोना है जाते वक़्त भी रोलाना है
पल पल बदलती दुनिया की …….
पल पल बदलती दुनिया की
तस्वीर बनाता हूँ किस्सा सुनता हूँ
पल पल बदलती दुनिया की …….
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
रविवार दिनांक १४ /१० /२०१२ दोपहरी १२ :०० समय
बालकृष्ण डी ध्यानी
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