कब तू बोलेली
आज बोली बोलो मी
ब्याल बोली बोलो मी
जीकोडी की गेड़ खोलो मी
मन की दिशा मन की दशा
मन मा ही दैड़ गयाई
उकेरी उकेरी की अंशुं ढोल दयाई
आज बोली बोलो मी
ब्याल बोली बोलो मी
जीकोडी की गेड़ खोलो मी
बाटा बस हेरदी रहई
आकाश थै बस टाकती रहई
जिन्दगी की ईनी बेल गयाई
आज बोली बोलो मी
ब्याल बोली बोलो मी
जीकोडी की गेड़ खोलो मी
क्दगा ब्याल क्दगा आज गयाई
गिचुडी तू सिली राई
जिकोडी कैमा ,क्ख्क बोलो मी
आज बोली बोलो मी
ब्याल बोली बोलो मी
जीकोडी की गेड़ खोलो मी
शनिवार दिनांक १३ /१० /१२ सवेरे ८ :३७ समय
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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