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एक करवा चौथ ईणी भी


एक करवा चौथ ईणी भी 

दूर परदेश छों 
सुवा मेरी बोल्यों सुण 
देख बरत ना लेई 
भूखी तू ना रैई

स्वमी मेरा सूनी लिंवां
अपरा खाणु टैम पे खयां
मेर फ़िक्र नी कैयां
ली मिल करवा चौथ कू वर्त 

सुखीलो सरेल तेरु 
पाणी णी तिल बूंद पीण 
बरत तोडी ली जब अपरू 
दो रोटी तिल कै खिलण 

जुगराज रयां स्वामी मेरा 
फोटो देखकी व्रत तोड़न 
दोई रोटी तब मी खेंण 
तब पाणी मेरु गीच जैन 

विपदा गढ़ देशा की जी 
जी ऐ बात जी ना लगेंण 
मेरु भी जी णी लगदु यख
मेरी सैर वख ही लगण 

स्वमी मेरा ना नारज हुयां
चाँद मा मी थै बस आप दिखेंण 
हंसी लूलू मी स्वामी मेरा 
अप्री जिकोडी ना झुरेंण 

दूर परदेश छों 
सुवा मेरी बोल्यों सुण 
देख बरत ना लेई 
भूखी तू ना रैई

एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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