सदनीयूँ
देखणा.........
कंण लंग्युचा ऐ
कै बाटा कै घार की
बिरड्यू छा ऐ
तू सदनीयुं को साथा की
देखणा.........
कंण लंग्युचा ऐ
णा मैता णा सारसो की
कोयाड़ी बारामासा की
एक दीण णा एक राता की
कोयाड़ी बारामासा की
देखणा.........
कबी आली कबी जलो ऐ
पडी यख एक रेघ परदेस कू जलो ऐ
परती कू हेरती रहली ऐ
कंण क्ख्क रुदाली लुकाली ऐ
देखणा.........
कंण लंग्युचा ऐ
णा भैर णा भीतर की
कोयाड़ी बारामासा की
उकाली की णा ऊंधारु की
कोयाड़ी बारामासा की
देखणा.........
जिर जिर लगी राली ऐ
जिकोडी बरखती राली ऐ
सालू मा भी लग्युं घाम ऐ
सवेर शाम बस यख काम ऐ
णा मेरु णा तेरु जी
कोयाड़ी बारामासा की
सदनी बडोली लगे की
कोयाड़ी बारामासा की
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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