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ढोल दामू


ढोल दामू 

नचण कू 
जी बुलणू रै दीदा 
दोई काठा टम टम दै 
ढोल दामू बजादै
मेरु गढ़देश नचेदे 

मासों बाज बुलाणू
जरा साथ निभै जै रै दीदा 
जी मेरु रंगमत कैजै 
ढोल दामू बजादै
मेरु गढ़देश नचेदे 

ईणी राष्याण लगे दै 
मेरु गढ़ देश झूमे दे रै दीदा 
तुर तुरा भी गरजै अब 
ढोल दामू बजादै
मेरु गढ़देश नचेदे 

एक एक की ऐगै सब 
कंण रिंगा कंण ताला रै दीदा 
मस्त कैदे जी खैरी विपदा बिसरी दै 
ढोल दामू बजादै 
मेरु गढ़देश नचेदे 

बार तियोहरा 
मेरु कुमो गढ़वाल रै दीदा 
तेरु बिना जी ना लगे ना साथ 
ढोल दामू बजादै
मेरु गढ़देश नचेदे 

नचण कू 
जी बुलणू रै दीदा 
दोई काठा टम टम दै 
ढोल दामू बजादै
मेरु गढ़देश नचेदे 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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