दिल घर है ...
दिल घर है
सपनो का सभी अपनों का
बीते पलों का
दिल घर है
आ जाओ कोई भी
रह जाओ तुम यंह पर
ना टैक्स ना कोई भाड़ा
दिल घर है
हंसी ही मिलेगी
दुःख मिठास घुलेगी
कडवाहट भूलेगी
दिल घर है
रह लो जब तक रहना
अपना जब तक कहना
उसमे स्थिरता देखेगी
दिल घर है
प्राण पखेरू जब उड़ जायेंगे
तब याद उस दिल को आयेंगे
कभी रहा था डेरा वो
दिल घर है
छलके नीर तेरा
याद एकांत आ जाउंगा
उस पल मुस्कुराऊंगा
दिल घर है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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