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मै और मेरी सौभग्यवती


मै और मेरी सौभग्यवती 

मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२
मै उसके गले का हूँ वो गहना
एक नही सात नही जन्म जन्म संग रहना 
सिंदूर बन उसके मांग मेर वो सजना 
मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२

मेरा आईना बन उसके लिये यूँ सजना 
वो लाल बिंदी माथे पर मेरा क्या कहना 
उसकी हंसी में ही मेरा वो हँसना 
रूठकर मुझसे मेरा वो मोती बन बहना 
मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२

साज श्रृंगार मै हों उसके यूँ रचा बसा 
उस अंगान में मै इस कदर घुल मिला 
तुलसी बन डाली सवेरे मेरा वो डुलना 
पूजा की थाली में झिलमिल मेरा जलना 
मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२

दिन रात मेरा उन यादों में यूँ गड़ना
उस धड़कन दिल में मेरा बस यूँ रहना 
सुखद अविरल जल में मेरा गोते खाना
वो ही मै मै ही वो इस मिलन का क्या कहना 
मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२

मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२
मै उसके गले का हूँ वो गहना
एक नही सात नही जन्म जन्म संग रहना 
सिंदूर बन उसके मांग मेर वो सजना 
मेरी सौभग्यवती का क्या कहना ...२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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