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दर्द का तराजू


दर्द का तराजू 

अर्ज है दास्ताँ दिल की ले तराजू का सहरा 
संग मेरे और आपके सदियों से वो आ रहा 
हुम हुम हुम हुओं ओं ...२ 

दर्द जब बोलता बस वो बोल देता है 
कितने जख्म वो खोलता है बोलता है 
दर्द जब बोलता बस वो बोल देता है 

चलो आज जाके पूछे दर्द से तेरी रजा क्या है 
सकून सा इस दिल में रहा जब दर्द संग संग रहा 
हुम हुम हुम हुओं ओं ...२ 

दिल को बनाकर समा एक ...२ 
नजरों से बस एक तरफ ही तोलता देता है 
दर्द जब बोलता बस वो बोल देता है 

एक अर्थ था जो मुझे दर्द सा दे गया रुला गया 
वो ही एक अकेले मॆ गम से जीना सिखा गया 
हुम हुम हुम हुओं ओं ...२ 

तराजू सा एक तरफा झुका चेहरा ...२ 
सीसकियाँ उठा कर दिल क्यों चुपचाप सह लेता है 
दर्द जब बोलता बस वो बोल देता है 

अहसास था जो साथ था हरदम यूँ ही 
नही तू मै बस एक वो हवा का बहता झोंका 
हुम हुम हुम हुओं ओं ...२ 

जंजीरों से लटकी उस किस्मत को ..२ 
आखिर किस के लिये वो छोड़ा देता है 
दर्द जब बोलता बस वो बोल देता है 

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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