वो चेहरा जब दिखता है
वो चेहरा जब भी दिखता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
देख सीने में ,गम ये जलता है
उस सिगरेट के धुँयें में ,वो अब भी हंसता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
आंसूं बनके ,ये दिल अब पिघलता है
आँखों से ये ,जब यूँ बह निकलता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
डूबा ही जाता उस इश्क के दरिया में
गम के समंदर की ओर बस वो चलता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
समंदर में जाकर भी खुद से ही वो लड़ता है
वंहा जा मैखाने में अंगूर की बेटी से झगड़ता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
अंगूर की बेटी ने भी मुझे रुसवा किया
एक को फंसा ना था सबको फंसा दिया है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
अंगूर के रम के साथ बस अब गम चलता है
शाम सवेरे उसका वो चेहरा .अब भी हंसता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
वो चेहरा जब भी दिखता है
देख सीने में ,गम ये जलता है ...............
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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