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को छे रै वख


को छे रै वख 

कोई ऐना नाऐ मी यखी छों
यकुला यकुली ही मैसे लगी छों 
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..

गौं गोठ्यार घार दार भैजी हुमुल किदगा रैबार 
घुघूती हिलंसा थकी गै उड़दा उड्दा ऐ आकास 
कोई णीऐ नाऐ कोई णी आलो 
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..

खोजदा खोजदा णी दिखेंणा
कै माया दगड़ तुमण छा लाटेणा
कैल णी ली सुध कु आलो माटू दगड़ा 
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..

आ बूअबा वो बड़ी बड़ी छुंई
कैल की तुमंण मील णी की 
किले जलता छुंईन ऐ गीचा फुकेंदा 
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..

देखं लींयां हमण अब तुम्हरी सौं 
बिसर हम णा तुम ही बिसरीग्युं 
चिठ्ठी पत्री ह्र्ची हमुल भैजी छे परसी
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..

कोई ऐना नाऐ मी यखी छों
यकुला यकुली ही मैसे लगी छों 
कोई ऐना नाऐ मी यखी छों..


एक उत्तराखंडी 

बालकृष्ण डी ध्यानी 
देवभूमि बद्री-केदारनाथ 
मेरा ब्लोग्स 
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com 
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
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