चित्रपट छोटी सी बात कू गीत च ये
न जणनु किले
न जणनु किले होणु च इनी जिंदगी दगड
अचाणचक ये जीयु ,
कैकी जणा का बाद , करणु फिर कैकी खुद
नाना नानी सी छुंयीं ,न जणनु किले
वीं अजाना बगत,
बीत गैन ब्याल, आज वो,
रंग बदली बदली जीयु मचल मचल
रैगे .न चलन जणनु किले,वीं अजाना बगत,
तेरु बिना मेरी आंखी मा,
टूटी रे ,है रे सुप्नीयु का महल ,
न जणनु किले होणु च इनी जिंदगी दगड ....
वींच च धोर
वीच ये सफर , है ना
दगडू कू मेरु मगर , अब मेरु दगडाया
ढूंड छन नजर न जणनु वींच च धोर ,
क्ख्क गै संध्या वी मदभरी,
वो मेरा,मेरा वो दिन क्ख्क गैनी
न जणनु किले होणु च इनी जिंदगी दगड
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
न जाने क्यों, होता है ये ज़िंदगी के साथ साथ गाना का बोल छन ये गाने का गढ़वाली संस्करण
चित्रपट छोटी सी बात
बालकृष्ण डी ध्यानी
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