वों दिणों मा
वो बिता दिणों मा
चैन भी छा करार भी छा
अब रैगे बस हिरकरी
बस अब ...अ .अ अ अ अ अ
अग्ने बड़ने की दौड़ लगी छा, दौड़ लगी छा
पीछने ही तू क्ख्क छुटीगे
वो दिणों मा फुल भी छा
वोंका बागवान भी छा
वोंका मायादार भी छा
बस अब ...अ .अ अ अ अ अ
वों थे तुडना को रीत बदलगे ऋतू बदलगे
प्रीत भी बदलगे
वो दिणों मान भी छा सन्मान भी छा
आपरा पराया एक साथ भी छा
एक जुटी बात छा
बस अब ...अ .अ अ अ अ अ
माया कु बस साथ छा
आपर अब दूर छा
पराया अब औरी पास छा
वो बिता दिणों मा
चैन भी छा करार भी छा
अब रैगे बस हिरकरी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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