माटू जनी माटू बनी
रंत च ना कोई रैबार
माटू जनी उड़ी जालू
खैर च ना कोई खबरदार
माटू जनी उड़ी जालू
आलू जबै यो बगत वो ....२
माटू जनी उड़ी जालू
दोई खुटयां भूयाँ चार आकाश
माटू जनी उड़ी जालू
बरसणी बस आशे बरसात
माटू जनी उड़ी जालू
कोई णी देलू तब साथ वो
कोई णी एलो अब साथ वो
जब माटू जनी उड़ी जालू
माटू ही अब बुलाणू तैथै
माटू जनी उड़ी आलू
गढ़ भूमी कू तू अब देदे साथ
माटू जनी उड़ी आलू
खिलेला तब यख फुल बाहार
तेथै ऐ माटू मा ही मिलालू आकर
जब यख माटू बनी उड़ी आलू
रंत च ना कोई रैबार
माटू जनी उड़ी जालू
खैर च ना कोई खबरदार
माटू जनी उड़ी जालू
आलू जबै यो बगत वो ....२
माटू जनी उड़ी जालू
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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