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मौसम



मौसम

बदलने लगे हैं मौसमो के रंग
फीके फीके से लगने लगे हम मौसमो के संग
बदलने लगे हैं मौसमो के रंग

मिजाज ऐसा बदला अब तो यूँ पल हर पल
बहारों में गिरने लगे गुल और पत्ते पत झड़ झड़
बदलने लगे हैं मौसमो के रंग

कोई कह दो उनसे जरा रोके वो मेरे लिये
मुझे चुन ने थे वो कांटे जो रह गये थे मेरे मन
बदलने लगे हैं मौसमो के रंग

भीगा भीगा है वो कोहरा कोहरा सुखा हुआ गम
दो बूंद आंसूं से भी ना अब धरा हुयी नम
बदलने लगे हैं मौसमो के रंग

बदलने लगे हैं मौसमो के रंग
फीके फीके से लगने लगे हम मौसमो के संग
बदलने लगे हैं मौसमो के रंग

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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