बगता क्या देखाण तिल होर्रि
देख कंण बगत अब ऐगे
मेरु गढ़ देश अब छोलू रैगे
बस देख्दा देखूण रैग़ेई
बस अपड़ा हि हम थै परायू कैगे
हे बग्ता क्या देखाण तिळ होर्रि
देख कंण बग्त अब ऐगै ।
दूर दूर भतेक तू घुमाण कू आई दूर दूर तलक हरयालू छे
ऐकी यख तू मोल्यारु कैगे
बस देख्दा देखूण रैग़ेई
बस अपड़ा हि हम थै परायू कैगे
हे बग्ता क्या देखाण तिळ होर्रि
देख कंण बग्त अब ऐगै ।
कबै हम खिल्द भी छा बुरंस जनी हँस्दा छन
ऐकी यख तू हम थै रुलै की चलीगे
बस देख्दा देखूण रैग़ेई
बस अपड़ा हि हम थै परायू कैगे
हे बग्ता क्या देखाण तिळ होर्रि
देख कंण बग्त अब ऐगै ।
बंजा पड़ी घास देखणा कू आजा
छुपै छुपै की रुंदा मुखड़ा देखणा को ऐजा
ईजा ,ब्वारी का आंसूं पूछण कूंण ऐजा
बस देख्दा देखूण रैग़ेई
बस अपड़ा हि हम थै परायू कैगे
हे बग्ता क्या देखाण तिळ होर्रि
देख कंण बग्त अब ऐगै ।
देख कंण बगत अब ऐगे
मेरु गढ़ देश अब छोलू रैगे
बस देख्दा देखूण रैग़ेई
बस अपड़ा हि हम थै परायू कैगे
हे बग्ता क्या देखाण तिळ होर्रि
देख कंण बग्त अब ऐगै ।
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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