ADD

छुट मुझसे



छुट मुझसे

छुट मुझसे
वो रूठा मुझसे
उड़ा गया कंहा अकेले
पंख फैलाये हुये

एक एक याद
उसकी मुझे आती रही
मुझको चुपके से उसके
पास ले जाती रही

उनकी दुनिया
उनकी ये गलियाँ
दो पल मे सब है उनका
कुछ नही तो मै नही हूँ वंहा

वो सादगी
वो सच्चापन
इमानदार हंसी लुप्त हो गयी है
कुछ नही तो मै अब वो नही हूँ

कंहा खो गया हूँ
मै खुद ही से खुद
मेरा वो अक्स अब कंहा छुट मुझसे
मै बिलकुल वो नही हूँ

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ