हे ..दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
हे ..कसौनी धारे की...हे दीदी
हे ..गढ़वाले की ...हे दीदी
हे..उत्तराखंडे की ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
तमगा इना मिल दयां रयां
फुल जानी खिल्दा रयां
हैस्दी रै दीदी मेरी...हे दीदी
बुरंसा जनी गोंदी ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
बागा जानी छाल मारे
आप्ड़ों मा वा मायादार
बगनी जानी गंगा की धार ...हे दीदी
जगमग कैर इन पहाड़ा ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
बाटा दिखा बेटी ब्वारी
बयां पकड़ी बयाँ दगडी
देखैणु हैसणु पहाड़ा ...हे दीदी
बडती जा तू बग्वाल ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
हे ..कसौनी धारे की...हे दीदी
हे ..गढ़वाले की ...हे दीदी
हे..उत्तराखंडे की ...हे दीदी
हे ..दीदी मेर पडै की ...हे दीदी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत
बालकृष्ण डी ध्यानी
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