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हुस्न पहाड़ों का



राम तेरी गंगा मैली हिंदी बोल ...हुस्न पहाड़ों का
गढ़वाली
ल: आऽ

हुस्न पहाड़ों का
ओ सायबा हुस्न पहाड़ों का
क्या बोलण इख बारा मेना मौसम जड्डू कू

सु: ऋतू ये स्वाणी च
मेरी जीयु ऋतू ये स्वाणी च
की जडू से डरंणु कनु दगडी गरम जवानी च -२

ओ होऽ
ल: ओऽ
तुम परदेसी कख बटी अयां
ऐता ही मेरु जीयु मा दामाये
कैरू क्या हाथों से जीयूं निकलू जै ये..२
सु: छोट़ा -छोट़ा झरणा छन
के झरनों का पाणी छू कु सुंओं खांण छन
ल: झरण त बगदा छन
सुंओं खा पहाड़ों की जो कायम रहंदा छन

दो: ओ होऽ
ल: ओऽ
सु: खिल्यां -खिल्यां फूलों न हरी-भरी च घाटी
रात ही रात मा कैन सजे होली
लगणु च जणी यख अपरिच ब्योह -२
ल: क्या गुल गोटा छन
पहाड़ों मा बुल्दिना परदेसी त झूठा हुन्दीना

सु: हो
हाथ ले हाथों मा
ल: के बाटो कट ही गै इणी माया की छुंई मा
दो: दुनिया या गांदी चा,
की सुन ले दुनिया या गांदी चा
कि माया का बाटों दगड़ी जिंदगी कटी जांदी चा .२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

राम तेरी गंगा मैली हिंदी बोल ...हुस्न पहाड़ों का
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
न जाने क्यों, होता है ये ज़िंदगी के साथ साथ गाना का बोल छन ये गाने का गढ़वाली संस्करण

बालकृष्ण डी ध्यानी
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