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अब तो कलम



अब तो कलम

अब तो कलम बन गयी है दिल की जुबान
कल्पनाओं में उड़ेगी मेरे विचारों का जहाज
अब तो कलम बन गयी है.........................

लो कर लो शुरवात अब अपनों के साथ
थोड़ी उन की और थोड़ी जग की बात
अब तो कलम बन गयी है.........................

बंधों अक्षरों को अपने भावों के साथ
कागज के नाव के परचम पर मेरा पैगाम
अब तो कलम बन गयी है.........................

साथ चले जोश होश का थामे लगाम
यथार्त प्रेम त्याग इतिहास की पहचान
अब तो कलम बन गयी है.........................

लेखनी को ना मिले अब कोई आराम
अनवरत ही बहे गंगा ये सहित्य की
अब तो कलम बन गयी है.........................

अब तो कलम बन गयी है दिल की जुबान
कल्पनाओं में उड़ेगी मेरे विचारों का जहाज
अब तो कलम बन गयी है.........................

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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