ADD

तो यंही कंही है



तो यंही कंही है

तो यंही कंही है
आँखों में नमी है
तो यंही कंही है

कली में खिली है
फूलों में बसी है
तो यंही कंही है

खोयी है ख्वाबों में
जागी तू रातों में
तो यंही कंही है

पलकों में थमी वो
दिये संग जली है
तो यंही कंही है

पल में बसी है
नब्ज में वो चली है
तो यंही कंही है

तो यंही कंही है
आँखों में नमी है
तो यंही कंही है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

बालकृष्ण डी ध्यानी
Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ