तो यंही कंही है
तो यंही कंही है
आँखों में नमी है
तो यंही कंही है
कली में खिली है
फूलों में बसी है
तो यंही कंही है
खोयी है ख्वाबों में
जागी तू रातों में
तो यंही कंही है
पलकों में थमी वो
दिये संग जली है
तो यंही कंही है
पल में बसी है
नब्ज में वो चली है
तो यंही कंही है
तो यंही कंही है
आँखों में नमी है
तो यंही कंही है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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