मेरे पहाड़ की नारी
हरदम रही उधेड़ बुन में
खोयी रही आपनी धुन में
फ़िक्र रही दुसरे की हर पल
मेरे पहाड़ की नारी ..................
बेटी जन्मी उस कुल में
माटी वो बनी इस धुल में
फुल सी खिलती रही हर पल
मेरे पहाड़ की नारी ..................
ऐसा ना कोना इस पहाड़ पर
तेरे से ना मिला हो कभी यंहा पर
चूल्हे से लेकर पहाड़ की चोटी तक
मेरे पहाड़ की नारी ..................
आधार शक्ती है तू पहाड़ की
तू निर्भय है तो सबल यंहा
बस तेरा ही हो अधिकार यंहा
मेरे पहाड़ की नारी ..................
कोटिश धनबाद आज तुझे
दिल करे बस आज सलाम तुझे
करें नमन मै हाथ जोड़ आज तुझे
मेरे पहाड़ की नारी ..................
हरदम रही उधेड़ बुन में
खोयी रही आपनी धुन में
फ़िक्र रही दुसरे की हर पल
मेरे पहाड़ की नारी ..................
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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