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सुप्नीयु टूटी



सुप्नीयु टूटी

बांटों मा देखी छे तू
या फिर सुप्नीयु मा भेंटी छे

बोल मी थै बोल गेल्या
ती थै कख दिखे छे

ऐ मेरु प्रीती कु ...प्रीती कु उमाल
क्या व्हैगै ईं ऐ माया,माया मा मेरु हाल

गदनीयों का ऐ छाला
गदनीयों का पल छाला

दिखे तू दिखे भगी
बोगी जाणी ...जणी गंगा की धारा

बांटों मा देखी छे तू
या फिर सुप्नीयु मा भेंटी छे

बोल मी थै बोल गेल्या
ती थै कख दिखे छे

ऐ मेरु प्रीती कु ...प्रीती कु उमाल
क्या व्हैगै ईं ऐ माया,माया मा मेरु हाल

ईखरी माया मेरी यकुली ही रहई
झम ऐकी की आंखोंयूँ मा यूँ तू कख लुकी ग्याई

बुरंस अबै खिली अबै मौली ग्याई
मेरी नींदी को वो सुप्नीयु टूटी ग्याई

बांटों मा देखी छे तू
या फिर सुप्नीयु मा भेंटी छे

बोल मी थै बोल गेल्या
ती थै कख दिखे छे

ऐ मेरु प्रीती कु ...प्रीती कु उमाल
क्या व्हैगै ईं ऐ माया,माया मा मेरु हाल

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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