ना रुशे मैसे
मिल भी जाली मिल भी जाली
भग्या की रेघा तेरी मेरी मिल भी जाली
ना रूसो दी छुची ईन ना हटो दी
बैठी डालो का छाला ईन मुखडी ना फिरोंदी
जीयु लगी मेरु तैसे मी दगडी ब्चोदी
जिकोड़ी की जीयु थै ना ईं झोरोंदी
सुप्नीया मा माया से लगे मैंन माया
मन मेरु मैसे ही हरचाया छुची तिल कया पैई
अब त बोल दे ऐ गीचो खोल दे
ना तरसो ना तरसो ऐ सरीर ना ईन दुख्दू दे
ताप छयूँ मुंडेर मा हाथ दगडी म्सल्दे
ऐ भानू बाट का तू खोल दे दुःख छोडी तू ह्सेदे
मिल भी जाली मिल भी जाली
भग्या की रेघा तेरी मेरी मिल भी जाली
ना रूसो दी छुची ईन ना हटो दी
बैठी डालो का छाला ईन मुखडी ना फिरोंदी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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