प्रभु आओ मेरे
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा ..५
बैठी हूँ कब से ध्यान लगा अलख जगा
आजा वो अब तो मोरे बलम अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
आके मुझे अब तो रंगवा लगा
कान्हा मोहे अब तो गरवा लगा अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
रासलीला की लील फिर से रचा
जमुना के तट पर आज बंसी बजा अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
राधा रानी होली खेलन आयी अंगना अलख जगा
होली खेले नंदलाल मोहे संग अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
लाल लाल गुलाल मोहे गाल लगा
रंग भरी पिचकारी मोरे अंग उड़ा अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
सुध बुध खो जाऊं मै मै ना रह जाऊं अलख जगा
फागुन के मास मै ब्वाली हो जाऊं अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा
प्रभु आओ मेरे अंगना अलख जगा ..५
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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