चलो से से मिलें
से की कहनी अब
से की ही जुबानी
आरंभ करके,अंत है से
से दूर ,से के पास
से के प्रति से के द्वार
से के लिये से ने पुकारा
से जुडी समय की धारा
से से ज़रिये से का गुजारा
माध्यम से हमारा तुम्हारा
से के अनुकूल से से मारफ़त
संबंध से और वजह है से
सहारे से के वंचित है से
रास्ते से से मंजिल से से
मुताबिक़ है वो है से
अपेक्षा है से बजाय है से
जगह,स्थान घेरे है से
सिलसिले हैं से के
सब कारण है इस से से
बर्ह्माण्ड में बसा है से
तेरा भी है से मेरा भी है से
से की कहनी अब
से की ही जुबानी
आरंभ करके,अंत है से
से दूर ,से के पास
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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