ऐसा भी मकाम आयेगा
देख जिंदगी में
ऐसा भी मकाम आयेगा
हम जाने के बाद ही
तुम को वो याद आयेंगे
घटा फिर घनघोर छायेगी
बरखा फिर थिरक थिरक कर आयेगी
फूल खिलेंगे लाखों बाहरों में
खोजोगे मुझको तुम वंहा नजारों में
देख जिंदगी में
ऐसा भी मकाम आयेगा
वो बात मेरी फिर हवायें दोहरायेंगी
फ़िजा में घुलकर वो जब फ़ना हो जायेगी
बूंद बनकर आँखों से निकलने लगेगी
धीरे से किसी कोने को मै तब याद आऊंगी
देख जिंदगी में
ऐसा भी मकाम आयेगा
साथ थी मै पर साथ नही के बराबार
अहमियत मेरी तब उभर कर आयेगी
वो साथ मेरा अपनेपन का तुम्हरे लिये
अकेले तन्हाई में वो फिर चलके आयेगा
देख जिंदगी में
ऐसा भी मकाम आयेगा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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