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विचलित कर गयी



विचलित कर गयी

खट खट की ध्वनि से
जरा सा मै विचलित सा हो गया

ध्यान मग्न था,मै खोया हुआ
कल्पनाओं के सागर में सोया हुआ

कृती कुछ उभर ही रही थी
की एक आवेग आया बहा ले गया

कविता को चक्षु से उड़ा ले गया
तरनुम के उस सोच को चुरा ले गया

उफ़ वो खट खट कि आवाज
कंहा था मै और वो कंहा मुझको मोड़ गयी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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