कवी दिल होता ही ऐसा
माँ सरस्वती की देन है
दूसरों के दर्द देख वो खुद रो लेता है
हंसी में उनके वो हंस लेता है
ऐसे ही वो कुछ छंद कविता लिख लेता है
कवी दिल होता ही ऐसा
अन्याय के खिलाफ
वो लड़ लेता है हौंसलों पुल वो बुन लेता है
कलम को अपनी तज देता है
क्रांती की राहों में वो अब दिखता है
कवी दिल होता ही ऐसा
भूखे की रोटी बन जाता है
आँखों से गिरे मोती बन जाता है
सर्दी में ठिठुर गर्मी में उमस
बरसात के संग वो बरस जाता है
कवी दिल होता ही ऐसा
खेल में खुद खेल बन जात है
बच्चों के संग बच्चा हो जाता है
आपनो संग कभी अकेला वो
गैरों दुःख मै वो खो जाता है
कवी दिल होता ही ऐसा
पेज और कलम का मेल है
चलती उसकी कल्पनाओं की रेल है
अच्छा लगे या बुरा कविता आप को
आपकी टिपण्णी से भरता उसका पेट है
कवी दिल होता ही ऐसा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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बालकृष्ण डी ध्यानी
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